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Monday, April 29, 2013

किडुक - मिडुक ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

मित्र मैत्रिणींनो, तुमच्या मुलींसाठी हा नवा ब्लॉग उघडलाय बरं :) : http://kiduk-miduk.blogspot.in/ त्यांना सुट्टीत करता येईल अशा गोष्टी टाकतेय तिथे. सोप्या अन छोटुकल्या, अन हो त्यांना आवडतील अशा. हा ब्लॉग सर्वांसाठी खुला आहे. तुमच्या मित्र मैत्रिणींनाही सांगा बरं का :)


Monday, November 14, 2011

पृथ्वीचे पाणिग्रहण

दिपज्योती दिवाळी अंक २०११ मध्ये प्रकाशित झालेली ही माझी पहिली दृकश्राव्य कविता

 

Friday, August 5, 2011

पृथ्वीचे लग्न




जेष्ठातली उतरती सांज
उडू लागली धूळ त्यात
पसरली जणू आसमंतात
तव लग्नाची खबर-बात








मग केली गर्दी मेघांनी
गेले सारे आभाळ भरुनी
आच्छादन पडे, होई सावली
छे, हा तर मंडप दारी






वारा सुटला, सुटली पाने
पखरण पिवळ्या पानांची
धरती झाली पिवळी पिवळी
हळद लागली नवरीची








घुमु लागली वार्‍याची सनई
तडतड ताशा वीज वाजवी
गडगडाट घुमला नभांगणी
छे, ही तर लग्नाची वाजंत्री









थेंब टपोरे पडू लागले
मोत्यांच्या लडीवर लडी
पोचू लागल्या गावोगावी
तव लग्नाच्या अक्षत-राशी










मातीच्या ढेपेतूनी वर
येऊ पाहे हिरवे रोप
दोन्ही पाने देती आशिष
पुजते गौरीहर तु त्यास











उमलूनी येई, ही पहाट
साकळलेले धुके दाट
विप्र उभे धरूनी ताठ
दोघांमधला अंतरपाट









पूर्व दिशेला नभी अवतरे
सप्तरंगी इंद्रधनु ते
जणू सुगंधी सुमनांची
शोभे मुंडावळी कपाळी










हिरवी हिरवी हिरवळ त्यावर
रंगबिरंगी सुमने नाजूक
धरती ल्याली नवे रूप
छे, हा तर शालू हिरवा तव











गाऊ लागले मधूर स्वरात
सारे खग-गण एक सूरात
एका मागूनी एक गाई
मंगलाष्टके सुरू झाली











झर्-झर झर्-झर झरू लागले
डोंगरातुनी खळ्ळाळ झरे
निशीगंधाच्या शुभ्र तुर्‍यांचे
शोभती हार वधू-वरांचे









उभे मध्ये मेघांचे तोरण
हळूच बघे वर रवी एक क्षण
झाले सारे केशरी भू-वन
संपन्न होई पाणिग्रहण !

Tuesday, February 1, 2011

माझ्या मनातली बाग

हे संपूर्ण चित्र फोटोशॉपमध्ये रंगवले आहे.

Sunday, June 6, 2010

फिनलंडच्या आजीबाईं

मायबोलीवरच्या योगेश २४ च्या फिनलंडच्या वारीतल्या आजीबाईंच्या फोटोतून मिळालेली प्रेरणा ! तो फोटो मला अगदी चित्र काढल्या सारखाच वाटला होता, म्हणून म्हटलं काढून बघावं

Friday, May 7, 2010

माझी चित्रकला

(मी चित्रकलेचे काहीही शिक्षण घेतलेले नाही, अगदी एलिमेंट्रीही नाही. फक्त आवड म्हणून काढलेली ही चित्र :) )

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बर्फाच्या धुक्यात हरवलेली वाट

फोटोशॉपमधे केलेला एक प्रयत्न

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अन तिथेच पावसात ......



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माझ्या आईच्या आईचे फक्त चेहर्‍याचे एक खुप जुने स्केच होते, त्यावरून तिचे पूर्ण चित्र काढून आईच्या वाढदिवसाला प्रेझेंट दिले, ते हे चित्र.
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